Google India को बड़ी राहत, ₹220 करोड़ तक घटी पेनल्टी
India Google: गूगल को भारत में एक महत्वपूर्ण कानूनी राहत मिली है, क्योंकि नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने एंटीट्रस्ट से जुड़े मामले में कंपनी पर लगाए गए 936 करोड़ रुपये के जुर्माने को घटाकर लगभग 220 करोड़ रुपये कर दिया है।
यह मामला गूगल के Android ऑपरेटिंग सिस्टम और ऐप्स के मार्केटिंग के तरीकों से जुड़ा हुआ था। NCLAT के इस फैसले से गूगल को भारत में अपने व्यापार संचालन को लेकर एक बड़ी राहत मिली है, क्योंकि इसे बड़ी आर्थिक सजा से बचने का मौका मिला है।
इस मामले की शुरुआत तीन साल पहले हुई थी, जब भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल पर आरोप लगाया था कि उसने अपनी दबदबे वाली स्थिति का गलत इस्तेमाल किया था।
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CCI का मानना था कि गूगल ने Android मोबाइल डिवाइस इकोसिस्टम और ऑनलाइन सर्च मार्केट में अपनी शक्ति का गलत फायदा उठाया था, जिससे प्रतिस्पर्धा में कमी आई थी और अन्य कंपनियों को नुकसान हुआ था। इसके बाद CCI ने गूगल पर जुर्माना लगाया था और कंपनी को अपने व्यवसाय के तरीके में बदलाव करने का आदेश दिया था।
CCI का आदेश और गूगल का विरोध
CCI ने गूगल को आदेश दिया था कि वह एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम के मामले में अपनी मार्केटिंग और व्यापार नीतियों को बदलने के लिए कदम उठाए।
CCI के मुताबिक, गूगल अपने प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऐप डिवेलपर्स पर ऐसी शर्तें नहीं लगा सकता था, जो भेदभावपूर्ण या अनुचित हों। CCI ने यह भी कहा था कि गूगल को यह स्पष्ट करना होगा कि जब यूजर थर्ड-पार्टी प्रोसेसिंग सर्विस का इस्तेमाल करता है, तो कंपनी 11 से 26 प्रतिशत तक कमीशन क्यों लेती है।

इसके बाद, गूगल ने CCI के आदेश को चुनौती दी और कहा कि एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म में बड़े बदलाव करना बहुत मुश्किल होगा। इसके अलावा, गूगल ने यह भी कहा कि भारत में एंड्रॉयड मोबाइल डिवाइस का मार्केट बहुत बड़ा है, और वहां लगभग 97 प्रतिशत स्मार्टफोन्स एंड्रॉयड पर चलते हैं।
इसलिए, इस प्लेटफॉर्म में बदलाव करने से गूगल के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। गूगल ने ऐप डिवेलपर्स के लिए बिलिंग के तरीकों में भी कुछ बदलाव किए थे।
गूगल ने बताया था कि अगर कोई यूजर वैकल्पिक बिलिंग सिस्टम के जरिए भुगतान करता है, तो Google Play की सर्विस फीस चार प्रतिशत घट जाएगी। हालांकि, कुछ डिजिटल स्टार्टअप्स और पॉलिसी थिंक टैंक ADIF ने इस बदलाव को CCI के आदेश का उल्लंघन बताया था।
उनका कहना था कि गूगल के इस कदम से ऐप डिवेलपर्स को कंपनी को कमीशन चुकाने के लिए मजबूर किया जाएगा, भले ही वे गूगल की सेवाओं का इस्तेमाल न करें।
NCLAT का निर्णय और जुर्माने में कमी
NCLAT ने गूगल के पक्ष में फैसला सुनाया और CCI के आदेश से जुर्माने की राशि को घटा दिया। पहले CCI ने गूगल पर 936 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, लेकिन NCLAT ने इसे घटाकर लगभग 220 करोड़ रुपये कर दिया। इस फैसले से गूगल को राहत मिली है क्योंकि जुर्माने की राशि में बड़ी कमी आई है।
NCLAT ने यह भी स्पष्ट किया कि गूगल को अपनी मार्केटिंग और व्यापार नीतियों में सुधार करना होगा, लेकिन जुर्माना कम कर दिया गया है। NCLAT ने यह कहा कि गूगल ने CCI के आदेश का उल्लंघन नहीं किया, और जुर्माने की राशि को कम किया गया क्योंकि गूगल ने अपनी नीतियों में बदलाव किए हैं।
गूगल और एप्पल के खिलाफ समान आरोप
यह पहली बार नहीं है जब किसी टेक्नोलॉजी कंपनी के खिलाफ एंटीट्रस्ट जांच की गई है। इससे पहले, Apple पर भी इस तरह के आरोप लगाए गए थे कि उसने ऐप्स के मार्केट में अपनी मजबूत स्थिति का गलत फायदा उठाया।
Apple पर आरोप था कि उसने ऐप डिवेलपर्स को उसके प्रॉपराइटरी इन-ऐप परचेज सिस्टम का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य किया था और इसके लिए डिवेलपर्स से 30 प्रतिशत तक फीस ली थी।
इस तरह के मामले टेक्नोलॉजी कंपनियों के व्यापार मॉडल और उनकी बाजार में दबदबे वाली स्थिति पर सवाल उठाते हैं। इन कंपनियों पर आरोप है कि वे अपने प्लेटफार्मों का इस्तेमाल करके छोटी कंपनियों और स्टार्टअप्स के लिए प्रतिस्पर्धा को कठिन बना रही हैं।
इसलिए, इन कंपनियों के खिलाफ एंटीट्रस्ट जांच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रतिस्पर्धा बनी रहे और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिलें।
गूगल के लिए भारत का महत्व
गूगल के लिए भारत एक बहुत ही महत्वपूर्ण बाजार है। भारत में इंटरनेट का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है और स्मार्टफोन की बिक्री भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रही है। भारत में लगभग 97 प्रतिशत स्मार्टफोन्स एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलते हैं, जो गूगल के लिए एक बड़ा बाजार है। इसके अलावा, भारत में मोबाइल ऐप्स का उपयोग भी बढ़ रहा है, जिससे गूगल के प्ले स्टोर की सेवाओं को एक प्रमुख स्थान प्राप्त हुआ है।
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गूगल के लिए यह राहत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे कंपनी को भारत में अपने व्यापार के संचालन में आसानी होगी। भारत में गूगल के पास एक बहुत बड़ा यूजर बेस है, और कंपनी की नीतियों में बदलाव से इस बाजार में गूगल की स्थिति प्रभावित हो सकती थी।
जुर्माने में कमी से गूगल को अपने व्यवसाय को जारी रखने में मदद मिलेगी और उसे अपने रणनीतियों को सही दिशा में लागू करने का मौका मिलेगा।
भविष्य में ऐसे मामलों की संभावना
भारत में एंटीट्रस्ट से जुड़े मामलों में यह पहला केस नहीं है। पहले भी कई कंपनियों के खिलाफ एंटीट्रस्ट जांच की जा चुकी है, और गूगल और एप्पल जैसे बड़े टेक्नोलॉजी कंपनियां इन जांचों का सामना कर रही हैं।
ऐसे मामलों से यह साफ है कि भारतीय नियामक अब इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि बड़े टेक्नोलॉजी प्लेयर अपनी मार्केटिंग और व्यापार नीतियों के जरिए छोटे खिलाड़ियों को नुकसान न पहुंचाएं।
भारत में तकनीकी क्षेत्र में लगातार हो रहे बदलावों के साथ, यह संभावना बनी रहती है कि भविष्य में और भी ऐसे मामले सामने आ सकते हैं। इन मामलों से यह भी पता चलता है कि अब भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
गूगल के लिए NCLAT का फैसला एक बड़ी राहत लेकर आया है, क्योंकि कंपनी को जुर्माने में भारी कमी मिली है। हालांकि, इस फैसले ने गूगल को यह संकेत भी दिया है कि उसे अपनी नीतियों में सुधार करने होंगे, ताकि भारत में प्रतिस्पर्धा बनी रहे और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिल सकें।
एंटीट्रस्ट जांच और संबंधित मामले टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बने रहेंगे, और भविष्य में इस तरह के और मामले सामने आ सकते हैं।

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