विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) 2025: Vinayaka Chaturthi March 2025 today(गणेश जी के आशीर्वाद के लिए करें ये उपाय Powerful fact

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विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) 2025: गणेश जी के आशीर्वाद के लिए करें ये उपाय

विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह पर्व भगवान गणेश की आराधना के लिए समर्पित होता है। इस दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करने से सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। मार्च महीने की विनायक चतुर्थी इस वर्ष 3 मार्च को मनाई जा रही है। इस दिन शुक्ल योग और ब्रह्म योग का शुभ संयोग भी बन रहा है, जिससे इस व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है। आइए जानते हैं कि इस विशेष दिन पर कौन-कौन से उपाय करने से शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं।

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Vinayaka Chaturthi

विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) पर करें ये सरल उपाय

सुख-समृद्धि के लिए उपाय

यदि आप अपने घर में सुख-समृद्धि को बढ़ाना चाहते हैं, तो स्नान आदि के बाद एक पान का पत्ता लें। इसे साफ पानी से धोकर अच्छी तरह कपड़े से पोंछ लें। फिर केसर का उपयोग करके इस पर ‘श्री’ लिखें और भगवान गणेश की पूजा के समय इसे अर्पित करें। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

व्यवसाय में सफलता के लिए उपाय

यदि आप अपने व्यवसाय में उन्नति चाहते हैं, तो विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) के दिन संकटनाशन गणेश स्तोत्र में दिए गए इस मंत्र का जप करें:

“प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम्।भक्तावासं स्मरेन्नित्यं मायु:कामार्थसिद्धये।।”

इस मंत्र के नियमित जप से व्यापार और नौकरी में उन्नति होती है।

हर क्षेत्र में सफलता के लिए उपाय

यदि आप जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो गणेश जी के इस मंत्र का जाप करें:

“प्रथमं वक्रतुंडं च, एकदंतं द्वितीयकम्।तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं, गजवक्त्रं चतुर्थकम्।।”

इस मंत्र के जाप से व्यक्ति की बाधाएं दूर होती हैं और उसे सफलता प्राप्त होती है।

विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) की पूजा का शुभ समय

पंचांग के अनुसार, विनायक चतुर्थी तिथि 3 मार्च को शाम 6 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। पूजा का शुभ समय सुबह 11 बजकर 23 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 1 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। इस दौरान श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान गणेश की पूजा करें।

इस दिन एक शुभ योग भी बन रहा है, जिसमें सुबह 4 बजकर 29 मिनट से रवि योग की शुरुआत होगी, जो शाम 6 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। रवि योग में किए गए धार्मिक कार्य शुभ फल प्रदान करते हैं।

विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) का महत्व

विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) के दिन व्रत रखने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को धन, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है, जो अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं। इस दिन गणेश जी को मोदक, दूर्वा और पान अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं।

विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) व्रत कथा:-


पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है. पूर्वकाल में एक धर्मनीष्ठ राजा का राज था. वाह राजा अत्यंत आदर्श और धर्मात्मा था. उनके राज्य में एक अत्यंत सज्जन और धर्मनीष्ठ ब्राह्मण हुआ करते थे जिनका नाम विष्णु शर्मा था.


विष्णु शर्मा का रहन सहन अत्यंत सामान्य था. उनके सात पुत्र थे और सभी पुत्र अलग अलग रहा करते थे. विष्णु शर्माजी परम गणेश भक्त थे और सदैव भगवान गणेश की संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया करते थे. परंतु अब वे वृद्धावस्था में पहुंच गये थे और उनसे गणेश चतुर्थी के व्रत का पालन करना कठिन हो रहा था, इसलिए वो चाहते थे की मेरी बहुएं मेरी जगह इस व्रत को करें.

एक दिन उन्होंने सभी पुत्रों को अपने घर आमंत्रित किया और सांय के भोजन के बाद उन्होंने अपनी सभी बहुओं से यह व्रत करने की कामना व्यक्त की. विष्णुजी के कामना सुन कर सभी बहुओ ने साफ माना कर दिया इतना ही नहीं उन्होंने विष्णुजी का घोर अपमान भी किया. केवल सबसे छोटी बहु ने उनकी बात मान ली.


सबसे छोटी बहु धर्मनीष्ठ और साफ मन की थी अपने ससुर को वो पिता का दर्जा देती थी. उसने पूजा के लिये लगते सभी सामान की व्यवस्था की, और ससुर के साथ खुद भी व्रत रखा और भोजन नहीं किया लेकिन अपने पिता समान ससुर को भोजन करवा दिया.

आधी रात का समय था और विष्णु शर्मा जी की तबियत अचानक से बिगड़ गई. उन्हें दस्त और उल्टिया होने लगी. छोटी बहु ने अपना कर्तव्य निभाते हुए मल-मूत्र से ख़राब हुए ससुर जी के कपडे साफ किए और उनके शरीर को धोया और स्वच्छ किया. वो पूरी रात बिना कुछ खाये पिए ससुर जी की सेवा में जागति रही.


व्रत के दौरान चंन्द्रोदय होने पर उसने स्नान किया और पूर्ण श्रद्धाभाव से श्री गणेश जी का पूजन और पाठ भी किया. उसने विधिवत पारण किया और इन कठिन परिस्थिति में भी खुद का धैर्य नहीं खोया. श्री गणेश जी पूजा और अपने पिता समान ससुर जी की सेवा पूर्ण श्रद्धाभाव से करती रही.

छोटी बहु की इस निस्वार्थ सेवा और व्रत उपासना से भगवान श्री गणेश उस पर प्रसन्न हुए और ससुर और छोटी बहु दोनों पर अपनी कृपा की. अगले दिन ससुर जी का बिगाड़ा हुआ स्वास्थ्य ठीक होने लगा और व्रत के पुण्यफल से छोटी बहु का घर धन धान्य से भर गया.


छोटी बहु की स्थिति को देख अन्य बहुएं भी इस व्रत से प्रभावित हुई और उनको अपनी करनी पर पछतावा होने लगा. उन्होंने बिना विलम्ब किये अपने पिता समान ससुर जी के पैर छू कर उनसे क्षमा याचना की और उन्होंने भी फाल्गुन कृष्ण पक्ष की विनायक गणेश चतुर्थी का व्रत किया. इतना ही नहीं उन्होंने अब से साल भर आने वाली हर संकष्टि गणेश चतुर्थी करने का शुभ संकल्प भी लिया. भगवान श्री गणेश की असीम कृपा से सभी का स्वभाव सुधर गया.

इस शुभ अवसर पर भक्तगण विधिपूर्वक पूजा-अर्चना कर अपने जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

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