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Adani Big Entry, बाजार में तीखी प्रतिक्रिया के 5 मुख्य कारण

Adani Big Entry, बाजार में तीखी प्रतिक्रिया के 5 मुख्य कारण, जानिए…

Adani Big Entry: गुरुवार, 20 मार्च को शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला, जब केईआई इंडस्ट्रीज (KEI Industries), पॉलिकैब इंडिया (Polycab India), हैवेल्स इंडिया (Havells India) और फिनोलेक्स केबल्स (Finolex Cables) जैसी कंपनियों के शेयरों में 14% तक की गिरावट आई। इस गिरावट की बड़ी वजह Adani Big Entry (Adani Group) का केबल और वायर उद्योग में प्रवेश करना है।

Adani Group की नई योजना

अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) ने बुधवार को स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में बताया कि उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी कच्छ कॉपर लिमिटेड (Kutch Copper Ltd.) ने एक नई जॉइंट वेंचर कंपनी ‘प्रणीता ईकोकेबल्स लिमिटेड’ (Praneetha Ecocables Ltd.) बनाई है। इस जॉइंट वेंचर में कच्छ कॉपर की 50% हिस्सेदारी होगी। यह कंपनी धातु उत्पादों (Metal Products), केबल्स और वायर के निर्माण, विपणन, वितरण, खरीद और बिक्री के कारोबार में सक्रिय होगी।

इस खबर के सामने आने के बाद ही मौजूदा कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। केईआई इंडस्ट्रीज के शेयरों में 14% की गिरावट आई, जबकि पॉलिकैब के शेयर 9% तक लुढ़क गए। हैवेल्स इंडिया और फिनोलेक्स केबल्स के शेयरों में भी 4% से ज्यादा की गिरावट देखी गई।

Adani Big Entry 2025

 

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बिरला ग्रुप के बाद अब अडानी ग्रुप

इससे पहले, बिरला ग्रुप (Birla Group) ने भी केबल और वायर के बिजनेस में उतरने की घोषणा की थी। फरवरी में अल्ट्राटेक सीमेंट (UltraTech Cement) ने इस क्षेत्र में अपनी एंट्री का ऐलान किया था। इसके बाद ही इस सेक्टर की मौजूदा कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई थी।

हालांकि, उस समय बाजार विशेषज्ञों और कंपनियों के अधिकारियों ने यह साफ किया था कि इस उद्योग में नई कंपनियों के लिए शुरुआत करना आसान नहीं होगा, क्योंकि इसमें लंबा समय और भारी पूंजी निवेश लगता है। केईआई इंडस्ट्रीज के सीएमडी अनिल गुप्ता ने 27 फरवरी को सीएनबीसी-टीवी18 के साथ बातचीत में कहा था कि अल्ट्राटेक को इस क्षेत्र में पूरी तरह से स्थापित होने में कम से कम तीन साल लगेंगे। उन्होंने यह भी बताया था कि केबल और वायर उद्योग में नए खिलाड़ियों के लिए अभी भी पर्याप्त अवसर हैं।

इसी तरह, आरआर केबल (RR Kabel) के सीएफओ राजेश जैन ने भी कहा था कि अल्ट्राटेक की एंट्री को बाजार जितना बड़ा खतरा मान रहा है, वैसा नहीं है।

निवेशकों की चिंता क्यों?

बाजार में मौजूदा खिलाड़ियों के शेयर इसलिए गिरे क्योंकि निवेशकों को लगता है कि बड़ी कंपनियों के आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी। खासतौर पर अडानी ग्रुप जैसी विशाल कंपनी जब इस सेक्टर में प्रवेश कर रही है, तो उसे बड़े स्तर पर संसाधन और पूंजी निवेश करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। इसके अलावा, अडानी ग्रुप पहले से ही इन्फ्रास्ट्रक्चर और मेटल सेक्टर में मजबूत पकड़ रखता है, जिससे उसे केबल और वायर बिजनेस में जल्दी सफलता मिल सकती है।

शेयर बाजार में यह माना जाता है कि जब कोई बड़ी कंपनी किसी नए सेक्टर में आती है, तो वहां पहले से मौजूद कंपनियों को अपनी बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। यही कारण है कि केईआई इंडस्ट्रीज, पॉलिकैब और अन्य कंपनियों के निवेशकों में घबराहट देखने को मिली।

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क्या होगा आगे?

हालांकि, बाजार के कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अभी इस सेक्टर में कोई बड़ी उथल-पुथल नहीं होगी, क्योंकि नए खिलाड़ियों को इस उद्योग में पूरी तरह से स्थापित होने में समय लगेगा। एलाारा कैपिटल (Elara Capital) के वाइस प्रेसिडेंट हर्षित कपाड़िया ने 28 फरवरी को सीएनबीसी-टीवी18 के साथ बातचीत में कहा था कि फिलहाल के लिए वह केबल और वायर सेक्टर को लेकर सतर्क रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अल्ट्राटेक की रणनीति स्पष्ट होने के बाद ही इस सेक्टर की असली स्थिति सामने आएगी।

वहीं, कुछ निवेशकों का मानना है कि केईआई इंडस्ट्रीज और पॉलिकैब जैसी कंपनियों के पास पहले से मजबूत ब्रांड वैल्यू और बाजार नेटवर्क है, जिससे वे नई कंपनियों को चुनौती दे सकती हैं।

बाजार की मौजूदा स्थिति

मार्च के पिछले एक महीने में अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर 6.3% बढ़े हैं, जबकि पॉलिकैब के शेयर 6% तक नीचे आ चुके हैं। वहीं, अन्य केबल और वायर कंपनियों के शेयरों में भी हल्की गिरावट देखी गई है।

अल्ट्राटेक और अडानी दोनों के इस बिजनेस में आने के बावजूद, मौजूदा कंपनियों का कहना है कि उनका फोकस अपनी मौजूदा बाजार हिस्सेदारी मजबूत करने और नए उत्पादों के जरिए ग्रोथ बनाए रखने पर रहेगा।

कुल मिलाकर, अडानी ग्रुप और बिरला ग्रुप की एंट्री ने इस उद्योग में हलचल जरूर मचा दी है, लेकिन असली मुकाबला तब होगा जब ये कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स और मार्केटिंग रणनीतियों को पूरी तरह से लागू करेंगी। फिलहाल, निवेशकों को सतर्क रहने और लॉन्ग टर्म ग्रोथ पर ध्यान देने की जरूरत है।

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