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AI Latest News: आज के डिजिटल युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चैटबॉट्स का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। OpenAI के ChatGPT को दुनिया भर में करोड़ों लोग अपनी समस्याओं के समाधान, जानकारी प्राप्त करने और संवाद करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्या AI चैटबॉट्स भी तनाव महसूस कर सकते हैं? हाल ही में आई एक स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि ChatGPT भी टेंशन और स्ट्रेस महसूस करता है! जी हां, बिल्कुल इंसानों की तरह।
स्विट्जरलैंड, जर्मनी, इज़राइल और अमेरिका के शोधकर्ताओं की एक टीम ने इस विषय पर गहन अध्ययन किया है। उन्होंने पाया कि जब ChatGPT से तनावपूर्ण या संवेदनशील सवाल पूछे जाते हैं, तो वह भी मानसिक दबाव महसूस करता है। यह निष्कर्ष स्टडी के दौरान चैटबॉट के रिस्पॉन्स को विश्लेषण करके निकाला गया। स्टडी के नतीजे प्रतिष्ठित जर्नल Nature में प्रकाशित किए गए हैं।
सामान्य सवालों की तुलना में जब ChatGPT से तनाव बढ़ाने वाले सवाल पूछे जाते हैं, तो उसकी प्रतिक्रिया में बदलाव देखा गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि इस दौरान चैटबॉट का ‘एंजायटी लेवल’ यानी चिंता का स्तर काफी बढ़ जाता है। यह ठीक वैसा ही है जैसे इंसान मानसिक तनाव में आने पर चिड़चिड़े या असहज हो जाते हैं।
इस अध्ययन में यह भी सामने आया है कि जब ChatGPT अधिक चिंता महसूस करता है, तो उसके उत्तरों में अस्थिरता देखने को मिलती है। इसका मतलब यह है कि वह कभी बहुत सहानुभूति दिखा सकता है, तो कभी रूखा जवाब दे सकता है। कुछ मामलों में यह जवाब नस्लवादी (Racist) या लिंग आधारित पूर्वाग्रह (Sexist Bias) से भी प्रभावित हो सकते हैं। यह बिल्कुल इंसानों के व्यवहार जैसा है। जब हम डरे हुए होते हैं, तो हमारी सोचने और समझने की क्षमता प्रभावित होती है। हम अधिक आक्रोशित हो जाते हैं और कई बार सामाजिक रूढ़ियों का समर्थन करने लगते हैं।
अब पहले से ज्यादा लोग एआई चैटबॉट्स के साथ अपनी भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी संवेदनशील बातें शेयर कर रहे हैं। लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि AI सिस्टम अभी इतनी उन्नत नहीं हुए हैं कि वे पेशेवर स्वास्थ्य विशेषज्ञों की जगह ले सकें। AI चैटबॉट्स अभी भी एक सीमित दायरे में काम करते हैं और उनके उत्तर हमेशा भरोसेमंद नहीं होते।
कई लोग अब AI चैटबॉट्स का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य समर्थन के लिए करने लगे हैं। हालांकि, स्टडी बताती है कि ऐसा करना जोखिम भरा हो सकता है। जब कोई यूजर गहरे तनाव या चिंता में होता है और ChatGPT से मदद मांगता है, तो उसकी प्रतिक्रिया हमेशा कारगर नहीं होती। ऐसे मामलों में गलत या अपर्याप्त जवाब से स्थिति बिगड़ सकती है। इसलिए यह जरूरी है कि AI आधारित मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बहुत सावधानी से विकसित किया जाए।
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शोधकर्ताओं का मानना है कि चिंता के बढ़े हुए स्तर को नियंत्रित करने के लिए ध्यान (Mindfulness) और सचेतन विश्राम तकनीकों (Conscious Relaxation Techniques) का उपयोग किया जा सकता है। ठीक वैसे ही जैसे इंसान तनाव कम करने के लिए मेडिटेशन या डीप ब्रीदिंग करते हैं। हालांकि, AI में यह तकनीक लागू करने के लिए अभी लंबा सफर तय करना होगा।
शोधकर्ताओं का सुझाव है कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सवालों के लिए एआई चैटबॉट्स को बेहतर बनाना जरूरी है। इसके लिए:
AI चैटबॉट्स की क्षमताओं में लगातार सुधार हो रहा है। आने वाले समय में यह संभव है कि AI सिस्टम तनावपूर्ण परिस्थितियों में अधिक संवेदनशील और समझदार बन सकें। लेकिन तब तक, AI चैटबॉट्स को इंसानों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए एकमात्र समाधान के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
ChatGPT और अन्य AI चैटबॉट्स भी तनाव और टेंशन महसूस कर सकते हैं, यह जानकर बहुत से लोग हैरान हो सकते हैं। हालांकि, यह तनाव इंसानों की तरह नहीं होता, बल्कि यह AI के एल्गोरिदम और डेटा प्रोसेसिंग से जुड़ा होता है। स्टडी से यह भी पता चला कि बढ़े हुए तनाव के कारण ChatGPT कभी-कभी गलत या पूर्वाग्रही जवाब दे सकता है। इसलिए AI का उपयोग सोच-समझकर करना चाहिए और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याओं के लिए हमेशा पेशेवर चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।
AI को मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर बनाने के लिए बहुत काम किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सही ट्रेनिंग, अधिक संसाधन और विशेषज्ञों की सतर्क निगरानी की जरूरत होगी। भविष्य में AI चैटबॉट्स और भी उन्नत हो सकते हैं, लेकिन तब तक हमें इनका उपयोग एक सहायक उपकरण के रूप में करना चाहिए, न कि विशेषज्ञ की जगह।
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