Cancer Treatment, DNA में छिपा है 5 Shocking Secrets
Cancer: Cancer एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है, जिससे हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं। पूरी दुनिया में इसके उपचार के लिए वैज्ञानिक लगातार नए-नए तरीके खोज रहे हैं। हाल ही में एक बहुत बड़ी खोज सामने आई है, जिससे कैंसर के इलाज में एक नई उम्मीद जगी है। यह खोज ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने की है, और इसमें एक ऐसा रहस्य सामने आया है, जो कैंसर के उपचार के तरीके को बदल सकता है। इस खोज का केंद्र बिंदु है “टेलोमेयर” – जो हमारे डीएनए की संरचना का एक अहम हिस्सा है।
Cancer से बचाव में टेलोमेयर की भूमिका
Cancer एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल जाती हैं। इस बीमारी को रोकने या फिर इसके उपचार के लिए शोध लगातार जारी है। इस शोध में अब तक कई नई जानकारी सामने आई है, जो कैंसर से लड़ने में मददगार साबित हो सकती है।
ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित चिल्ड्रन मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (CMRI) के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक अहम खोज की है। इस खोज के अनुसार, टेलोमेयर नामक संरचनाएं कैंसर के उपचार में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। टेलोमेयर गुणसूत्रों (Chromosomes) के सिरे पर मौजूद छोटे सुरक्षात्मक आवरण होते हैं, जो कोशिकाओं की उम्र बढ़ने और कैंसर के रोकथाम में मदद करते हैं।
टेलोमेयर क्या होते हैं?
टेलोमेयर, गुणसूत्रों के सिरे पर स्थित संरचनाएं होती हैं, जो कोशिकाओं की सुरक्षा करती हैं। यह कोशिकाओं के विभाजन को नियंत्रित करते हैं और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, टेलोमेयर छोटे होते जाते हैं, जिससे कोशिकाओं को विभाजन रोकने का संकेत मिलता है। यह एक प्राकृतिक सुरक्षा तंत्र है, जो कैंसर को फैलने से रोकने में मदद कर सकता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, टेलोमेयर के छोटा होने का मतलब यह नहीं है कि केवल कोशिकाओं की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया शुरू होती है, बल्कि यह कैंसर के फैलाव को भी रोक सकता है। दरअसल, यह संरचनाएं शरीर में कोशिकाओं को एक महत्वपूर्ण संदेश देती हैं, जिससे कोशिकाओं का अनियंत्रित विभाजन रुक जाता है।

नई खोज: डीएनए और Cancer का संबंध
यह नई खोज सिडनी के चिल्ड्रन मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों द्वारा की गई। इस शोध का नेतृत्व टोनी सेसारे और उनकी टीम ने किया। इस शोध में यह पाया गया कि टेलोमेयर केवल उम्र बढ़ने से जुड़े नहीं होते, बल्कि ये तनाव और कोशिकाओं को होने वाली क्षति पर भी प्रतिक्रिया करते हैं और कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद कर सकते हैं।
टोनी सेसारे के अनुसार, “हमारे डेटा से पता चलता है कि टेलोमेयर केवल उम्र बढ़ने से जुड़े नहीं हैं, बल्कि वे तनाव और कोशिकाओं को होने वाली क्षति पर प्रतिक्रिया करके कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने का काम भी कर सकते हैं।”
इस शोध ने यह स्पष्ट किया है कि टेलोमेयर कोशिकाओं की सुरक्षा केवल उम्र बढ़ने के कारण नहीं, बल्कि बाहरी दबाव जैसे तनाव और क्षति के कारण भी सक्रिय हो सकते हैं और कोशिकाओं को कैंसर जैसी बीमारी से बचा सकते हैं।
टेलोमेयर कैसे Cancer से बचाव करते हैं?
अब सवाल यह उठता है कि टेलोमेयर कैंसर से कैसे बचाव करते हैं? तो आइए, जानते हैं इसके बारे में:
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कोशिका विभाजन को नियंत्रित करना: टेलोमेयर कोशिकाओं को यह संकेत देते हैं कि जब वे बहुत छोटे हो जाते हैं, तो कोशिकाएं विभाजन को रोक देती हैं। इससे कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि रुक जाती है, जो कैंसर की एक प्रमुख वजह है।
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क्षतिग्रस्त कोशिकाओं का नाश: यदि किसी कोशिका में गंभीर गुणसूत्रीय क्षति होती है, तो टेलोमेयर उसे आत्म-नाश (self-destruction) के लिए प्रेरित कर सकते हैं। यह प्रक्रिया कैंसर के खतरे को कम कर सकती है।
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त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली: वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि टेलोमेयर कोशिकाओं में आने वाले तनाव पर तेजी से प्रतिक्रिया करते हैं। यह प्रक्रिया कोशिकाओं को उम्र बढ़ने जैसी प्रतिक्रियाएं दिखाने के लिए प्रेरित कर सकती है, जिससे कैंसर के विकास को रोका जा सकता है।
Cancer के इलाज में भविष्य की संभावनाएं
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टोनी सेसारे के अनुसार, यह नई खोज कैंसर के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर वे टेलोमेयर को लक्षित करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने का तरीका खोज लेते हैं, तो यह कैंसर के लिए एक प्रभावी और नया उपचार विकल्प बन सकता है। इसके अलावा, इससे कैंसर की रोकथाम के नए तरीके भी विकसित हो सकते हैं, जो भविष्य में लाखों लोगों की मदद कर सकते हैं।
Cancer के बढ़ते मामले
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2022 में लगभग 2 करोड़ नए कैंसर मामलों की पहचान हुई और 97 लाख लोग इस बीमारी के कारण मारे गए। इस आंकड़े से यह साफ होता है कि कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और इसका इलाज एक बड़ी चुनौती बन चुका है।
यह शोध टेलोमेयर की भूमिका को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि वैज्ञानिक इस दिशा में और अधिक शोध करते हैं, तो हम कैंसर को नियंत्रित करने में बहुत बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं। यह खोज न केवल कैंसर की रोकथाम में मददगार साबित हो सकती है, बल्कि नए उपचारों के विकास की भी संभावना बढ़ा सकती है।
भारत में पहली CAR-T सेल थेरेपी की सफलता
भारत में भी कैंसर के इलाज में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। हाल ही में भारत में पहली CAR-T सेल थेरेपी के क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे बहुत ही सकारात्मक रहे हैं। इस थेरेपी के नतीजे “द लांसेट” में प्रकाशित किए गए हैं, जिसमें यह पाया गया कि इस थेरेपी ने भारतीय मरीजों में 73% तक सफलता हासिल की है। यह कैंसर के इलाज में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
क्या है CAR-T सेल थेरेपी?
CAR-T (Chimeric Antigen Receptor T-Cell) थेरेपी एक उन्नत इम्यूनोथेरेपी तकनीक है। इसमें मरीज के टी-सेल्स को लैब में जेनेटिक रूप से मॉडिफाई किया जाता है, ताकि वे कैंसर कोशिकाओं को पहचानकर उन्हें खत्म कर सकें। यह तकनीक खासतौर पर रक्त कैंसर जैसे एक्यूट लिंफोब्लास्टिक ल्यूकेमिया और बड़े बी-सेल लिंफोमा के इलाज में प्रभावी साबित हो रही है।
कैंसर के इलाज के क्षेत्र में हुए ये दो महत्वपूर्ण शोध – टेलोमेयर पर आधारित खोज और CAR-T सेल थेरेपी – भविष्य में कैंसर के इलाज के तरीकों को पूरी तरह बदल सकते हैं। टेलोमेयर के अध्ययन से कैंसर की रोकथाम और उपचार के नए रास्ते खुल सकते हैं, जबकि CAR-T सेल थेरेपी ने मरीजों के इलाज के लिए एक नई उम्मीद दी है। यदि इन शोधों पर और काम किया जाता है, तो हम कैंसर को नियंत्रित करने में बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं और भविष्य में लाखों लोगों को कैंसर से बचा सकते हैं।
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