Chandra Grahan 2025
Chandra Grahan 2025: इस साल होली के जश्न के दौरान एक अद्भुत खगोलीय नज़ारा देखने को मिलेगा। 14 मार्च 2025, शुक्रवार को पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, जिसमें चंद्रमा खूबसूरत लाल रंग का दिखेगा। इस प्रकार के Chandra Grahan 2025 को ‘ब्लड मून’ कहा जाता है। हालांकि, भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, लेकिन इसे लाइव स्ट्रीमिंग के ज़रिए देखा जा सकता है। आइए, जानते हैं इस अनोखी खगोलीय घटना के बारे में विस्तार से।
जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं, तो चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आ जाता है। इससे उसकी रोशनी कम हो जाती है और वह अंधेरे में डूब जाता है। पूर्ण Chandra Grahan 2025 के दौरान, जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में आ जाता है, तब उसकी सतह लाल रंग की दिखाई देती है। इस लालिमा को ‘ब्लड मून’ कहा जाता है। यह नज़ारा बेहद खास और रोमांचक होता है।
NASA के अनुसार, यह चंद्रग्रहण कुल 1 घंटा 5 मिनट तक रहेगा, जबकि आंशिक ग्रहण लगभग 3 घंटे 38 मिनट तक देखा जा सकेगा। अलग-अलग समय क्षेत्रों के अनुसार, ग्रहण के समय कुछ इस प्रकार होंगे:
नहीं, जब यह ग्रहण अपने अधिकतम स्तर पर होगा, तब भारत में दिन होगा। इसलिए, यह भारतीय आकाश में दिखाई नहीं देगा। हालांकि, अमेरिका, पश्चिमी यूरोप और अटलांटिक महासागर क्षेत्र के लोग इसे साफ-साफ देख सकेंगे।
जो लोग इसे अपनी आँखों से नहीं देख सकते, वे ऑनलाइन लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से इस खगोलीय घटना का आनंद ले सकते हैं। कई स्पेस एजेंसियां और वेधशालाएं इस ग्रहण को अपने यूट्यूब चैनल और वेबसाइट्स पर लाइव प्रसारित करेंगी।
अगर आप अंतरिक्ष घटनाओं में रुचि रखते हैं, तो यह चंद्रग्रहण आपके लिए एक शानदार मौका है। लाइव स्ट्रीमिंग के ज़रिए इस अद्भुत नज़ारे का आनंद लें और इसे देखने का अनुभव यादगार बनाएं।
होलिका दहन, जिसे छोटी होली भी कहा जाता है, होली के एक दिन पहले मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। 2025 में होलिका दहन 14 मार्च, शुक्रवार को होगा। इस दिन विशेष पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते हैं इसकी पूजा विधि।
सामग्री एकत्र करें:
पूजा के लिए गोबर से बनी होलिका व प्रह्लाद की मूर्ति, रोली, चावल, फूल, नारियल, हल्दी, गुड़, कच्चा सूत (मौली), गंगाजल, सूखे नारियल के टुकड़े, गेंहू की बालियां और हवन सामग्री तैयार करें।
शुभ मुहूर्त में पूजा करें:
होलिका दहन को शुभ मुहूर्त में करने से इसका फल अधिक मिलता है। ज्योतिषियों के अनुसार, प्रदोष काल में होलिका दहन करना शुभ होता है।
होलिका की परिक्रमा करें:
पूजा स्थल पर पहुँचकर जल छिड़कें और गंगाजल से शुद्धिकरण करें। इसके बाद कच्चा सूत (मौली) होलिका के चारों ओर लपेटें और रोली, अक्षत, फूल, नारियल आदि अर्पित करें।
आग जलाएं और भोग अर्पित करें:
होलिका में लकड़ी और उपले डालकर अग्नि प्रज्वलित करें। इसके बाद गेंहू की बालियां व नारियल की आहुति दें।
प्रार्थना करें:
परिवार के सुख-समृद्धि और कष्टों के निवारण के लिए भगवान विष्णु और होलिका माता की प्रार्थना करें।
इस विधि से पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और हर बाधा दूर होती है।
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