Flipkart IPO Office Shift: सिंगापुर से भारत आने के 5 Big Reasons, जो ई-कॉमर्स ग्रोथ को देंगे ज़बरदस्त बढ़ावा

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Flipkart IPO Office Shift: सिंगापुर से भारत आने के 5 Big Reasons, जो ई-कॉमर्स ग्रोथ को देंगे ज़बरदस्त बढ़ावा

Flipkart IPO Office Shift: देश की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट Flipkart एक बार फिर चर्चा में है। इस बार वजह है कंपनी का अपनी होल्डिंग कंपनी को सिंगापुर से भारत शिफ्ट करना और उसके बाद इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) लाने की तैयारी। यह कदम न केवल भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए अहम है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और निवेशकों के नजरिए से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

Flipkart IPO Office Shift: फ्लिपकार्ट का इतिहास और विकास

फ्लिपकार्ट की शुरुआत वर्ष 2007 में सचिन बंसल और बिन्नी बंसल ने की थी। शुरुआत में कंपनी ने ऑनलाइन बुक सेलिंग से अपना कारोबार शुरू किया था। बाद में कंपनी ने धीरे-धीरे इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन, होम अप्लायंसेज, ग्रॉसरी और अन्य क्षेत्रों में विस्तार किया। आज यह भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में से एक है और Amazon की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी मानी जाती है।

Flipkart IPO Office Shift: सिंगापुर में होल्डिंग शिफ्ट करने की वजह

फ्लिपकार्ट ने 2011 में अपनी होल्डिंग कंपनी को भारत से सिंगापुर में स्थानांतरित कर दिया था। उस समय इसके पीछे मुख्य वजहें थीं:

  • कम टैक्स दरें

  • विदेशी निवेश प्राप्त करना आसान

  • ग्लोबल बिजनेस स्ट्रक्चर के अनुकूल माहौल

यह कदम उस समय भारत के कई स्टार्टअप्स ने उठाया था ताकि वे वैश्विक स्तर पर कैपिटल जुटा सकें और अधिक लचीलापन पा सकें।

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Flipkart IPO Office Shift: वॉलमार्ट की बड़ी एंट्री

वर्ष 2018 में अमेरिकी रिटेल दिग्गज Walmart ने फ्लिपकार्ट में लगभग 77% हिस्सेदारी खरीदकर इसे अधिग्रहित कर लिया था। यह डील लगभग 16 अरब डॉलर की थी और तब से फ्लिपकार्ट वॉलमार्ट की सब्सिडियरी बन गई।

इस अधिग्रहण में PhonePe, जो उस समय फ्लिपकार्ट का एक हिस्सा था, वॉलमार्ट के अधीन आ गया। हालांकि, तीन वर्ष पहले PhonePe ने खुद को फ्लिपकार्ट से अलग कर लिया और अपना हेडक्वार्टर सिंगापुर से भारत शिफ्ट कर लिया था।

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Flipkart IPO office shift

 

Flipkart IPO Office Shift: भारत वापसी का बड़ा फैसला

अब, वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट ने यह बड़ा निर्णय लिया है कि फ्लिपकार्ट की होल्डिंग कंपनी को सिंगापुर से भारत स्थानांतरित किया जाएगा। यह कदम इस उद्देश्य से उठाया जा रहा है कि कंपनी भारत में IPO ला सके। भारत सरकार की मौजूदा नीति के तहत डुअल लिस्टिंग की अनुमति नहीं है, यानी एक कंपनी एक साथ दो देशों के स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध नहीं हो सकती।

इसलिए, अगर फ्लिपकार्ट को भारत में IPO लाना है, तो उसकी होल्डिंग कंपनी को भारतीय कानून के तहत रजिस्टर्ड होना जरूरी है।

Flipkart IPO Office Shift: कंपनी का आधिकारिक बयान

फ्लिपकार्ट ने एक बयान में कहा है: “यह प्रक्रिया हमारी कारोबारी रणनीति का हिस्सा है। हम अपने होल्डिंग स्ट्रक्चर को हमारे मुख्य बिजनेस से जोड़ रहे हैं ताकि भारतीय बाजार में विस्तार के लिए मजबूत आधार बना सकें।”

कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम पूरी तरह से नियामकीय प्रक्रिया के अनुसार होगा और इसका उद्देश्य पारदर्शिता और स्थानीय बाजार से जुड़ाव को और मजबूत करना है।

IPO की योजना और संभावनाएं

इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) किसी भी कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय पड़ाव होता है। फ्लिपकार्ट के लिए यह कदम:

वॉलमार्ट पहले ही संकेत दे चुका है कि PhonePe और Flipkart दोनों को भविष्य में भारतीय शेयर बाजारों में लिस्ट किया जाएगा। वॉलमार्ट के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट Dan Bartlett ने पिछले वर्ष कहा था कि PhonePe ने भारत में IPO की तैयारी शुरू कर दी है।

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PhonePe का अनुभव

जब PhonePe ने खुद को फ्लिपकार्ट से अलग किया और सिंगापुर से भारत में शिफ्ट किया, तो वॉलमार्ट को इसके लिए लगभग एक अरब डॉलर टैक्स चुकाना पड़ा था। हालांकि, इसके बावजूद PhonePe अब भारत में तेजी से उभरती हुई डिजिटल पेमेंट कंपनी बन गई है।

ED की जांच और कानूनी पेचीदगियां

हाल के वर्षों में ई-कॉमर्स सेक्टर में विदेशी निवेश को लेकर जांच भी तेज हुई है। एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने फ्लिपकार्ट और Amazon के खिलाफ कानूनी उल्लंघन के आरोपों की जांच शुरू की है। इन कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने:

  • चुनिंदा सेलर्स को तरजीह दी

  • प्रोडक्ट्स की इन्वेंटरी पर अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण रखा

भारतीय कानून के अनुसार, विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां सीधे प्रोडक्ट्स की इन्वेंटरी नहीं रख सकतीं, बल्कि केवल एक मार्केटप्लेस की तरह काम कर सकती हैं, जहां स्वतंत्र सेलर्स अपने प्रोडक्ट्स बेचते हैं।

ई-कॉमर्स बाजार का भविष्य

भारत में ई-कॉमर्स सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2028 तक यह मार्केट 160 अरब डॉलर से अधिक का हो सकता है। ऐसे में बड़ी कंपनियों के IPO और विदेशी निवेश की वापसी से यह सेक्टर और भी मजबूत हो सकता है।

निवेशकों के लिए मौका

फ्लिपकार्ट के IPO से भारतीय निवेशकों को एक बड़ी कंपनी में निवेश करने का मौका मिलेगा। चूंकि फ्लिपकार्ट भारत में लंबे समय से काम कर रही है और उसका उपभोक्ता आधार काफी बड़ा है, इसलिए इसका IPO काफी हाइप और डिमांड के साथ आ सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सब कुछ नियामकीय रूप से सुचारू रहता है तो अगले 1-2 वर्षों में फ्लिपकार्ट का IPO बाजार में आ सकता है।

सरकार की भूमिका

भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में “स्टार्टअप इंडिया”, “मेक इन इंडिया” जैसे अभियानों के तहत स्टार्टअप्स को भारत में ही पंजीकरण और विस्तार के लिए प्रोत्साहित किया है। इससे पहले Zoho, Zerodha, Freshworks जैसी कंपनियों ने भी अपनी जड़ें भारत में मजबूत की हैं।

फ्लिपकार्ट का यह कदम इन नीतियों की सफलता की दिशा में एक मजबूत संकेत माना जा सकता है।

फ्लिपकार्ट की होल्डिंग कंपनी का भारत में वापसी करना न केवल उसके IPO को आसान बनाएगा, बल्कि यह एक नए युग की शुरुआत भी हो सकती है, जहां भारतीय स्टार्टअप्स वैश्विक निवेश को अपनी मातृभूमि में लाकर अधिक आत्मनिर्भर बनेंगे।

इससे यह संकेत भी मिलता है कि भारत अब वैश्विक स्तर पर स्टार्टअप्स और यूनिकॉर्न्स के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनता जा रहा है, जो आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सार्थक पहल है।

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