Mobile Spying: 7 आसान स्टेप्स में बचाएं अपनी प्राइवेसी – स्मार्टफोन की खतरनाक जासूसी से पाएं हमेशा के लिए छुटकारा
Mobile Spying: आज के समय में स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का एक जरूरी हिस्सा बन चुका है। चाहे ऑफिस का काम हो, ऑनलाइन शॉपिंग, सोशल मीडिया, वीडियो कॉल या फिर इंटरनेट ब्राउज़िंग – हर काम में स्मार्टफोन हमारी मदद करता है। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि आप किसी प्रोडक्ट या टॉपिक के बारे में बस बातचीत कर रहे होते हैं और थोड़ी ही देर में वही चीज़ आपके फोन पर ऐड या सजेशन के रूप में दिखने लगती है?
अगर ऐसा आपके साथ भी हुआ है, तो यह केवल इत्तेफाक नहीं है, बल्कि इसके पीछे तकनीकी कारण और आपकी प्राइवेसी से जुड़ा गंभीर मुद्दा छुपा है।
क्या आपका फोन आपकी बातें सुनता है?
जी हां! तकनीकी विशेषज्ञों और सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्मार्टफोन में मौजूद कई ऐप्स आपके माइक्रोफोन का एक्सेस लेती हैं और बैकग्राउंड में आपकी बातें सुन सकती हैं। इससे जुड़े हुए डाटा का उपयोग ऐडवर्टाइजिंग एजेंसियां करती हैं ताकि आपको आपकी पसंद के हिसाब से ऐड दिखाया जा सके।

यानी अगर आपने अपने दोस्तों से यात्रा के बारे में बात की है, तो हो सकता है अगले ही पल आपके फोन में ट्रैवल ऐप्स या होटल बुकिंग की एड्स दिखाई देने लगें।
कैसे होती है जासूसी?
स्मार्टफोन में इंस्टॉल की गई कई ऐप्स, चाहे वो सोशल मीडिया की हों या गेम्स, आपको माइक्रोफोन एक्सेस की अनुमति मांगती हैं। जब आप उन्हें “Allow” कर देते हैं, तो वो ऐप्स बैकग्राउंड में भी आपके आस-पास की आवाज़ें सुनने में सक्षम हो जाती हैं।
इसकी मदद से यूज़र्स की बातचीत से जुड़ी जानकारी इकट्ठी की जाती है और फिर उसका इस्तेमाल टारगेटेड ऐड के लिए किया जाता है। इसका एक प्रमुख उद्देश्य है: अधिक मुनाफा कमाना।
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कौन-कौन से ऐप्स करते हैं ये काम?
अक्सर सोशल मीडिया ऐप्स जैसे Facebook, Instagram, Snapchat, TikTok, YouTube, Google Assistant, और कुछ गेमिंग ऐप्स यूज़र्स की अनुमति लेकर माइक्रोफोन एक्सेस करते हैं। हालांकि इन कंपनियों का कहना है कि वे यूज़र की गोपनीयता का सम्मान करती हैं, लेकिन समय-समय पर सामने आए डेटा लीक और जासूसी के मामले इन दावों पर सवाल खड़े करते हैं।
इससे आपकी प्राइवेसी को कैसे खतरा?
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बातचीत की रिकॉर्डिंग: आपकी निजी बातचीत रिकॉर्ड होकर क्लाउड सर्वर पर स्टोर हो सकती है।
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लाइफस्टाइल की निगरानी: आपकी पसंद, आदतें, पसंदीदा ब्रांड, शॉपिंग हैबिट्स और यहां तक कि राजनीतिक विचार भी ट्रैक किए जा सकते हैं।
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डिजिटल प्रोफाइलिंग: आपके नाम, स्थान, डिवाइस, सर्च हिस्ट्री, बातचीत आदि के आधार पर एक पूरा डिजिटल प्रोफाइल तैयार किया जा सकता है।
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हैकिंग का खतरा: अगर ये डेटा गलत हाथों में चला जाए तो आपकी पहचान की चोरी (Identity Theft) से लेकर बैंकिंग फ्रॉड तक हो सकता है।
लेकिन घबराइए नहीं! आप कर सकते हैं अपनी प्राइवेसी की रक्षा
आपके पास पूरा अधिकार है कि कौन सी ऐप को क्या एक्सेस देना है। अपने स्मार्टफोन की सेटिंग्स को चेक कर आप माइक्रोफोन और कैमरा एक्सेस को आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं।
कैसे करें सेटिंग में बदलाव? (Android यूज़र्स के लिए गाइड)
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फोन की Settings खोलें।
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नीचे स्क्रॉल करें और Privacy & Security सेक्शन पर जाएं।
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Privacy विकल्प पर क्लिक करें।
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अब Permission Manager पर जाएं।
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यहां आपको सभी ऐप्स की लिस्ट मिलेगी जिनके पास माइक्रोफोन, कैमरा, लोकेशन, आदि की परमिशन है।
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Microphone पर टैप करें।
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आपको उन ऐप्स की सूची दिखाई देगी जिन्हें माइक्रोफोन की अनुमति दी गई है।
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किसी भी ऐप (जैसे YouTube या Facebook) को चुनें।
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वहां आपको तीन ऑप्शन मिलेंगे:
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Allow
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Don’t Allow
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Ask Every Time
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यहां पर आप “Ask Every Time” चुनें ताकि ऐप हर बार माइक्रोफोन यूज़ करने से पहले आपकी अनुमति मांगे।
कैमरा एक्सेस को भी ऐसे करें कंट्रोल:
Permission Manager में जाकर “Camera” पर टैप करें। यहां भी आपको वैसे ही तीन विकल्प मिलेंगे। आप उन्हीं के आधार पर ऐप्स को कैमरा एक्सेस देने या रोकने का निर्णय ले सकते हैं।
iPhone यूज़र्स के लिए क्या करें?
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Settings खोलें
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Privacy & Security पर जाएं
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Microphone पर टैप करें
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यहां ऐप्स की लिस्ट दिखेगी, जिसे आप ऑन या ऑफ कर सकते हैं
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Camera एक्सेस भी इसी तरह Manage कर सकते हैं
कुछ और जरूरी टिप्स:
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Unknown ऐप्स को Uninstall करें: जिन ऐप्स की जरूरत नहीं है, उन्हें हटाना बेहतर है।
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App Permissions को समय-समय पर रिव्यू करें
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VPN और सिक्योरिटी ऐप्स का इस्तेमाल करें ताकि आपका डेटा सिक्योर रहे।
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Google Assistant या Siri की Listening क्षमता को Off करें अगर आप उनका प्रयोग कम करते हैं।
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फोन अपडेट रखें ताकि सिक्योरिटी पैच एक्टिव रहें।
क्या कंपनियां सच में हमारी बातें सुनती हैं?
तकनीकी रूप से यह संभव है, लेकिन कंपनियां इसे नकारती हैं। Google और Facebook जैसे दिग्गज कहते हैं कि वे यूज़र की बातचीत रिकॉर्ड नहीं करते। लेकिन कई बार ऐसे उदाहरण सामने आते हैं जो इस दावे को खारिज करते हैं।
2019 में एक रिपोर्ट में सामने आया था कि Google और Amazon अपने वर्चुअल असिस्टेंट (Google Assistant और Alexa) की रिकॉर्डिंग को मानवीय रूप से सुनवाते हैं ताकि वो सिस्टम को बेहतर बना सकें। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर किस हद तक आपकी बातें सुरक्षित हैं?
आपका स्मार्टफोन जितना स्मार्ट है, उतना ही वह आपकी निजी जानकारी के लिए खतरा भी बन सकता है – अगर आप सजग न रहें। टेक्नोलॉजी को दोष देना ठीक नहीं, लेकिन हमें उसे सही ढंग से उपयोग करना आना चाहिए।
यदि आप चाहते हैं कि आपका स्मार्टफोन आपकी बातें न सुने, तो कुछ छोटे-छोटे बदलाव आपके लिए बहुत बड़ी राहत बन सकते हैं। ऊपर दिए गए स्टेप्स को फॉलो कर आप अपनी प्राइवेसी को एक मज़बूत कवच दे सकते हैं। क्या आपने अब तक अपने फोन की प्राइवेसी सेटिंग्स चेक की हैं? अगर नहीं, तो आज ही इसे करें और अपने डेटा की सुरक्षा खुद तय करें।
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