Ola Electric को महाराष्ट्र में तगड़ा झटका: 75 स्टोर्स सील, ट्रेड सर्टिफिकेट की भारी चूक बनी मुसीबत की वजह
Ola Electric: देश की अग्रणी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर निर्माता कंपनी Ola Electric को महाराष्ट्र में बड़ा प्रशासनिक झटका लगा है। राज्य सरकार द्वारा की गई सख्त कार्रवाई के चलते कंपनी के 75 से ज्यादा स्टोर्स को बंद कर दिया गया है। कारण है—इन स्टोर्स के पास आवश्यक ट्रेड सर्टिफिकेट का न होना। अब इस पूरे प्रकरण ने न सिर्फ Ola Electric की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में बढ़ती अनियमितताओं को लेकर एक बड़ी बहस भी छेड़ दी है।
क्या है पूरा मामला:
महाराष्ट्र राज्य परिवहन विभाग ने Ola Electric के 146 स्टोर्स का निरीक्षण किया था, जिनमें से 121 स्टोर्स बिना वैध ट्रेड सर्टिफिकेट के संचालन करते पाए गए। ट्रेड सर्टिफिकेट, किसी भी वाहन डीलरशिप के लिए एक जरूरी कानूनी दस्तावेज होता है, जिसके बिना वाहन बिक्री करना पूरी तरह से गैरकानूनी है।
राज्य सरकार ने इस आधार पर कंपनी के 75 स्टोर्स को तत्काल प्रभाव से बंद करने के आदेश जारी किए। NDTV Profit की एक रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के संयुक्त परिवहन आयुक्त (Joint Transport Commissioner) रवि गायकवाड़ ने स्पष्ट कहा, “ऐसे स्टोर्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और इनकी वैधता रद्द की जानी चाहिए।”
Ola Electric का जवाब:
Ola Electric ने इस मुद्दे पर अपनी सफाई पेश करते हुए कहा कि, “महाराष्ट्र में हमारे स्टोर्स को लेकर किए जा रहे दावे गलत और भ्रामक हैं। हम राज्य की संबंधित एजेंसियों के साथ मिलकर सभी मुद्दों का समाधान निकालने के लिए तत्पर हैं।” कंपनी के प्रतिनिधियों ने यह भी दावा किया कि उनकी ओर से सभी कानूनी आवश्यकताओं को पूरा किया जा रहा है और जहां भी कमी पाई गई है, वहां सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं।

क्या होता है ट्रेड सर्टिफिकेट:
ट्रेड सर्टिफिकेट वह अधिकृत दस्तावेज होता है जो वाहन निर्माता या डीलर को गाड़ियों की टेस्टिंग, प्रदर्शन, और बिक्री से पहले उन्हें सड़कों पर चलाने की कानूनी अनुमति देता है।
सेंट्रल मोटर व्हीकल्स एक्ट और रूल 33 के अनुसार:
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कोई भी वाहन निर्माता या वितरक बिना व्यापार प्रमाण पत्र (Trade Certificate) के वाहन का प्रदर्शन या बिक्री नहीं कर सकता।
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रूल 35 में यह भी कहा गया है कि हर एक शोरूम या बिक्री स्थल के लिए अलग से यह सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है।
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यदि किसी स्टोर के पास यह सर्टिफिकेट नहीं है, तो यह सीधा मोटर व्हीकल्स एक्ट की धारा 192 का उल्लंघन माना जाता है।
इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर संबंधित कंपनी पर जुर्माना, जेल या दोनों की सजा हो सकती है।
कैसे हुआ खुलासा?
मार्च 2025 में महाराष्ट्र परिवहन विभाग ने कुछ Ola Electric स्टोर्स पर अचानक छापेमारी की थी। जांच में यह पाया गया कि कई स्टोर्स अनधिकृत रूप से कार्यरत हैं और वहां से गैरकानूनी ढंग से इलेक्ट्रिक स्कूटर्स की बिक्री की जा रही है।
इस कार्रवाई के बाद, 31 मार्च को Ola Electric को एक आधिकारिक नोटिस जारी किया गया। इस नोटिस में स्पष्ट कहा गया: “आपकी कंपनी राज्य में अवैध शोरूम्स का संचालन कर रही है और बिना वैध लाइसेंस के वाहनों की बिक्री कर रही है, जो बेहद गंभीर मामला है। आपसे स्पष्टीकरण मांगा गया है कि आपके विरुद्ध कार्रवाई क्यों न की जाए।”
इस नोटिस पर संयुक्त परिवहन आयुक्त रवि गायकवाड़ के हस्ताक्षर थे, और यह महाराष्ट्र ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ऑफिस के आधिकारिक लेटरहेड पर जारी किया गया।
प्रशासन की सख्ती:
परिवहन विभाग का कहना है कि Ola Electric जैसे बड़े ब्रांड से इस तरह की लापरवाही की उम्मीद नहीं थी। राज्य सरकार का मानना है कि यदि किसी कंपनी को राज्य में कारोबार करना है, तो उसे सभी कानूनी मानकों का पालन करना होगा।


रवि गायकवाड़ ने NDTV Profit से बातचीत में कहा, “हम सिर्फ Ola Electric ही नहीं, बल्कि राज्य में कार्यरत अन्य इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों की भी जांच करेंगे। किसी को भी नियमों से ऊपर नहीं माना जा सकता।”
बाजार पर असर:
महाराष्ट्र Ola Electric के लिए एक बड़ा बाजार है। कंपनी के देशभर में 400 से अधिक आउटलेट्स हैं, जिनमें से अकेले महाराष्ट्र में 146 स्टोर्स हैं। अब इनमें से 75 स्टोर्स पर ताला लगने से न केवल बिक्री प्रभावित होगी, बल्कि कंपनी की साख पर भी बट्टा लग सकता है।
ग्राहकों में भी इस कार्रवाई को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है। कुछ ग्राहक सोशल मीडिया पर शिकायत कर रहे हैं कि उनके द्वारा बुक किए गए स्कूटर्स की डिलीवरी में देरी हो रही है, तो कुछ ने यह तक लिखा कि उन्हें अब कंपनी पर भरोसा नहीं रहा।
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कर्मचारियों पर संकट:
इन 75 बंद स्टोर्स में सैकड़ों कर्मचारी कार्यरत थे। अब उनके रोजगार पर संकट मंडरा रहा है। हालांकि Ola Electric की ओर से अब तक कर्मचारियों को लेकर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, लेकिन जानकारों का मानना है कि कंपनी को उन्हें अन्य स्टोर्स या विभागों में समायोजित करना पड़ेगा, अन्यथा विरोध बढ़ सकता है।
क्या यह सिर्फ Ola Electric की समस्या है:
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समस्या केवल Ola Electric तक सीमित नहीं है। इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर उद्योग में कई कंपनियां तेजी से विस्तार कर रही हैं, लेकिन सभी नियमों और कानूनों का पालन नहीं हो रहा है।
EV उद्योग विशेषज्ञ रोहित राजदान के अनुसार, “यह एक इंडस्ट्री-वाइड समस्या है। कंपनियां जल्दबाज़ी में बिना पर्याप्त प्लानिंग के स्टोर्स खोल रही हैं। जबकि EV सेगमेंट को भरोसे की सख्त ज़रूरत है।”
सरकार का भविष्य की रणनीति:
महाराष्ट्र सरकार अब EV कंपनियों के सभी स्टोर्स की व्यापक जांच की योजना बना रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “हम नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे। साथ ही, जो कंपनियां ईमानदारी से काम कर रही हैं, उन्हें हर संभव सहयोग दिया जाएगा।”
ग्राहकों को क्या करना चाहिए:
जिन ग्राहकों ने Ola Electric से स्कूटर बुक किया है या खरीदने का प्लान कर रहे हैं, उन्हें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
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डीलरशिप की वैधता जांचें: स्टोर के पास वैध ट्रेड सर्टिफिकेट है या नहीं, यह जरूर जानें।
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इनवॉयस और डॉक्यूमेंट की कॉपी लें: गाड़ी खरीदते समय सभी कागजात लें।
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कस्टमर केयर से संपर्क करें: किसी भी भ्रम या समस्या के लिए कंपनी के आधिकारिक हेल्पलाइन पर संपर्क करें।
Ola के लिए आगे की राह:
अब Ola Electric के पास दो ही रास्ते हैं—या तो वह राज्य सरकार के साथ समन्वय कर सभी अनियमितताओं को ठीक करे, या फिर कानूनी प्रक्रिया का सामना करे।
हालांकि कंपनी के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि वह सभी आवश्यक सर्टिफिकेट्स जल्दी लेगी और बंद स्टोर्स को फिर से शुरू करने की कोशिश करेगी। लेकिन इस बीच जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा।
महाराष्ट्र में Ola Electric के स्टोर्स पर की गई सरकारी कार्रवाई ने इलेक्ट्रिक व्हीकल उद्योग में पारदर्शिता और नियमों के पालन की अहमियत को उजागर किया है। यह केवल एक कंपनी की लापरवाही नहीं, बल्कि पूरी इंडस्ट्री के लिए एक चेतावनी है। सरकार की सक्रियता और नियामक दृष्टिकोण से आने वाले समय में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को मजबूती जरूर मिलेगी, लेकिन कंपनियों को भी चाहिए कि वे इस भरोसे को बनाए रखें।
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