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Panchang 3 May 2025: वैशाख माह शुक्ल पक्ष षष्टी तिथि, जानिए पूरी जानकारी और चमकारी मंत्र

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Panchang 3 May 2025: वैशाख माह शुक्ल पक्ष षष्टी तिथि, जानिए पूरी जानकारी और चमकारी मंत्र

Panchang 3 May 2025: आज दिनांक 3 मई 2025, शनिवार को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह दिन धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ माना जा रहा है। चंद्रमा आज कर्क राशि में संचरण कर रहे हैं और नक्षत्र है पुनर्वसु, जो दोपहर 12:33 बजे तक प्रभावी रहेगा। इसके बाद पुष्य नक्षत्र प्रारंभ होगा। इस दिन का योग है शूल, जो रात 1:40 बजे तक प्रभावी रहेगा। इस दिन का करण है पहले तैतिल और फिर गर, जो दोपहर और शाम के मुहूर्तों में बदलाव लाता है।

Panchang 3 May 2025 सूर्योदय और सूर्यास्त का समय (राजस्थान)

  • सूर्योदय – सुबह 05:40 बजे

  • सूर्यास्त – शाम 06:56 बजे

Panchang 3 May 2025 चंद्रमा की स्थिति

  • चंद्र राशि – कर्क

  • चंद्रमा के स्वामी – स्वयं चंद्र देव हैं, जो मन, भावनाओं और मानसिक स्थिति के प्रतिनिधि माने जाते हैं। चंद्रमा का कर्क राशि में होना भावनात्मक गहराई और पारिवारिक झुकाव को बढ़ाता है।

Panchang 3 May 2025 का शुभ मुहूर्त

  • अभिजीत मुहूर्त – 11:54 से 12:42 तक
    यह मुहूर्त कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ करने हेतु अत्यंत फलदायी माना जाता है।

Panchang 3 May 2025 राहुकाल का समय (अशुभ मुहूर्त)

  • 08:59 बजे से 10:38 बजे तक
    इस समय किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से परहेज करें, क्योंकि राहुकाल में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव अधिक होता है।

Panchang 3 May 2025 हिंदू पंचांग के अनुसार तिथि विवरण

Panchang 3 May 2025 नक्षत्र विवरण

  • पुनर्वसु नक्षत्र – दोपहर 12:33 बजे तक

  • पुनर्वसु नक्षत्र के स्वामी बृहस्पति (गुरु) हैं, जो ज्ञान, धर्म, और शुभता का प्रतिनिधित्व करते हैं।

  • इसके बाद पुष्य नक्षत्र प्रारंभ होता है, जो सर्वश्रेष्ठ नक्षत्रों में से एक है और अत्यंत शुभ माना जाता है।

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शनिवार विशेष: शनि देव की पूजा का महत्व

शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित होता है। इस दिन शनि मंदिर में जाकर तेल चढ़ाना, काले तिल दान करना, और शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। खासकर जिन जातकों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है, उनके लिए आज का दिन विशेष पूजन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

धार्मिक कार्यों के लिए विशेष योग

आज पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र की युति, और शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के कारण माता कात्यायनी की विशेष पूजा की जाती है। कन्या के विवाह हेतु यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है। साथ ही व्यापार आरंभ, नया वाहन खरीदना, भूमि पूजन, गृह प्रवेश जैसे कार्य भी अभिजीत मुहूर्त या पुष्य नक्षत्र में किए जा सकते हैं।

भद्रा काल नहीं है

आज के पंचांग में भद्रा काल का कोई प्रभाव नहीं है। अतः सभी शुभ कार्य बिना किसी बाधा के किए जा सकते हैं।

पूजन एवं व्रत की जानकारी

  • षष्ठी व्रत – जिन परिवारों में छोटे बच्चे हैं, वहाँ षष्ठी माता की पूजा करने का विशेष विधान होता है। इस व्रत को संतान की रक्षा और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है।

  • शनिवार व्रत – शनि दोष निवारण हेतु शनिवार व्रत रखा जाता है जिसमें व्रती तेल से दीपक जलाते हैं और शनि चालीसा या दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करते हैं।

27 योगों का संक्षिप्त परिचय

पंचांग में 27 योग होते हैं जिनका निर्माण सूर्य और चंद्रमा की युति से होता है। आज का योग शूल है, जो कि तीव्र और संघर्ष का संकेत देता है। अतः सावधानीपूर्वक निर्णय लेना चाहिए।

11 करणों का संक्षिप्त विवेचन

नक्षत्रों का विस्तृत विवरण

27 नक्षत्रों में से पुनर्वसु और पुष्य दोनों ही नक्षत्र आज के दिन उपस्थित हैं।

  • पुनर्वसु नक्षत्र – यह नक्षत्र आशावाद और पुनरुत्थान का प्रतीक है।

  • पुष्य नक्षत्र – सबसे शुभ नक्षत्र माना जाता है। इसमें किए गए कार्यों में स्थायित्व और समृद्धि आती है।

ग्रहों की चाल और राशियों पर प्रभाव

🌞 सूर्य

  • वर्तमान में मेष राशि में हैं। यह ऊर्जा, नेतृत्व और आरंभ का प्रतिनिधित्व करता है।

🌙 चंद्रमा

  • कर्क राशि में हैं – भावुकता, परिवार से जुड़ाव और कोमलता के संकेत हैं।

🪐 शनि

  • कुंभ राशि में स्थित हैं और वक्री नहीं हैं।

  • शनि का प्रभाव कर्म, संघर्ष और न्याय से जुड़ा होता है।

राशियों पर प्रभाव (संक्षिप्त)

उपाय और टोटके (शनिवार विशेष)

  • शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं

  • पीपल के पेड़ के नीचे तिल का दीया जलाएं

  • काले कुत्ते या काली गाय को रोटी दें

  • ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का 108 बार जप करें

आज का विचार

“धैर्य ही शनि की पूजा का सबसे बड़ा साधन है। कर्म करते रहें, फल की चिंता न करें।”

आज 3 मई 2025 का दिन धर्म, पूजा-पाठ, और साधना के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है। पुष्य नक्षत्र और शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का मेल शुभ कार्यों के लिए अनुकूल है। राहुकाल को छोड़कर दिन के अन्य समयों में विवाह, गृह प्रवेश, नए व्यापार की शुरुआत जैसे कार्य पूरे आत्मविश्वास से किए जा सकते हैं।

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