Pink Moon 2025
Pink Moon 2025: भारत में धार्मिक पर्वों और खगोलीय घटनाओं का विशेष महत्व होता है। जब कोई आध्यात्मिक पर्व और खगोलीय घटना एक साथ घटती हैं, तो यह संयोग और भी खास बन जाता है। ऐसा ही एक अद्भुत संयोग 2025 में बनने जा रहा है, जब हनुमान जयंती, पिंक मून और बैसाखी लगभग एक ही समय पर मनाए जाएंगे। यह न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से, बल्कि खगोलीय और प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी एक विशेष अवसर होगा।
हनुमान जयंती हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है, जो भगवान हनुमान के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो कि आमतौर पर मार्च-अप्रैल में आती है। 2025 में यह तिथि 12 अप्रैल को पड़ रही है।
हनुमान जी का महत्व:
भगवान हनुमान को शक्ति, भक्ति, साहस और सेवा का प्रतीक माना जाता है। रामायण में उनकी भूमिका अविस्मरणीय रही है। वे राम भक्त के रूप में पूजे जाते हैं और उन्हें संकट मोचन भी कहा जाता है। हनुमान जयंती पर श्रद्धालु उपवास रखते हैं, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं और मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन होता है।
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‘पिंक मून’ सुनकर ऐसा लगता है जैसे चंद्रमा गुलाबी रंग का हो जाता है, लेकिन असल में ऐसा नहीं होता। यह नाम एक विशेष समय की पूर्णिमा को दिया गया है। इसका नामकरण अमेरिका की मूल जनजातियों की परंपराओं से हुआ है।
पिंक मून का नाम क्यों पड़ा?
यह नाम ‘मॉस पिंक’ नामक फूल से जुड़ा है, जो वसंत ऋतु में अमेरिका के कई हिस्सों में अप्रैल के महीने में खिलता है। इसी फूल की वजह से अप्रैल की पूर्णिमा को ‘पिंक मून’ कहा जाने लगा। इसे ‘एग मून’, ‘ब्रेकिंग आइस मून’ जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है।
2025 में पिंक मून 12 अप्रैल को दिखाई देगा, यानी उसी दिन जब हनुमान जयंती मनाई जा रही है। इतना ही नहीं, यह ‘माइक्रोमून’ भी होगा। यानी यह चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी से सबसे दूर के बिंदु (अपोजी) पर होगा।
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माइक्रोमून क्या होता है?
जब चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर अपनी अंडाकार कक्षा में घूमता है, तो एक समय ऐसा आता है जब वह पृथ्वी से सबसे अधिक दूरी पर होता है। इसे ‘अपोजी’ कहते हैं। यदि उस समय पूर्णिमा हो, तो चंद्रमा अपेक्षाकृत छोटा और कम चमकीला दिखाई देता है। इसे ही माइक्रोमून कहा जाता है। इसके उलट जब चंद्रमा पृथ्वी के निकट होता है और पूर्णिमा होती है, तो वह बड़ा और अधिक चमकीला दिखता है, जिसे ‘सुपरमून’ कहा जाता है।
माइक्रोमून बनाम सुपरमून:
माइक्रोमून: चंद्रमा 14% छोटा और 30% कम चमकीला होता है
सुपरमून: चंद्रमा बड़ा और ज्यादा चमकदार दिखता है
पिंक मून सिर्फ खगोलीय दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण होता है। इसे नवीनीकरण, परिवर्तन और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। यह वसंत ऋतु का सूचक है, जब प्रकृति में नई ऊर्जा का संचार होता है।
भारतीय परिप्रेक्ष्य में महत्व:
भारत में यह पूर्णिमा हनुमान जयंती के दिन आती है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। यह समय ध्यान, पूजा और आत्म-शुद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। चंद्रमा की ऊर्जा मानसिक स्थिति पर प्रभाव डालती है, और जब वह वसंत ऋतु में पूर्ण होता है, तो उसे आध्यात्मिक उन्नति के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
हनुमान जयंती और पिंक मून के ठीक बाद एक और बड़ा पर्व आता है — बैसाखी। यह पर्व 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है, जो पंजाब और उत्तर भारत का प्रमुख त्योहार है।
बैसाखी का महत्व:
सिख धर्म में: यह दिन 1699 में खालसा पंथ की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। गुरु गोविंद सिंह जी ने इस दिन खालसा की नींव रखी थी।
कृषि पर्व: बैसाखी को रबी फसल की कटाई के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। किसान नई फसल की खुशी में भगवान का धन्यवाद करते हैं।
नववर्ष की शुरुआत: यह दिन पंजाबी और सिख नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी है।
2025 में ये तीनों घटनाएं — हनुमान जयंती, पिंक मून, और बैसाखी — एक ही समय के आस-पास होने जा रही हैं। इस संयोग में:
आध्यात्मिक ऊर्जा: हनुमान जयंती और पिंक मून के एक साथ होने से मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का विशेष संचार माना जा रहा है।
प्राकृतिक सुंदरता: माइक्रोमून के रूप में चंद्रमा अलग रूप में दिखेगा, जो रात के आकाश को और भी खास बना देगा।
सामाजिक उल्लास: बैसाखी जैसे उत्सव के साथ यह समय धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक उल्लास से भर जाएगा।
इस शुभ संयोग का लाभ उठाने के लिए आप निम्न कार्य कर सकते हैं:
हनुमान पूजा: सुबह से भगवान हनुमान की आराधना करें। सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
चंद्रमा को अर्घ्य: पूर्णिमा की रात चंद्रमा को जल अर्पित करें और ध्यान करें।
संकल्प लें: इस दिन नई शुरुआत और आत्म-शुद्धि का संकल्प लें।
प्राकृतिक आनंद लें: पिंक मून को देखने के लिए खुले आसमान के नीचे जाएं और इस दुर्लभ खगोलीय घटना का आनंद लें।
बैसाखी की तैयारी करें: अगले दिन बैसाखी की खुशियों में भाग लें और समाज के साथ मिलकर पर्व को मनाएं।
हनुमान जयंती 2025 सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि एक खगोलीय और सांस्कृतिक उत्सव भी बन चुका है। पिंक मून की उपस्थिति इसे और भी खास बना रही है, जबकि बैसाखी का उत्सव इस समय को और भी उल्लासपूर्ण बना देगा। यह संयोग प्रकृति, धर्म और परंपराओं का एक सुंदर मिलन है, जो हमें आध्यात्मिक जागरूकता और आंतरिक नवीनीकरण की ओर प्रेरित करता है।
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