Ram Navami Special: भारत के 10 Powerful और Famous श्री राम मंदिर, जहां जरूर करें दर्शन
श्री राम जन्मभूमि मंदिर, अयोध्या (उत्तर प्रदेश):
श्री राम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या में स्थित एक भव्य और ऐतिहासिक मंदिर है, जिसे भगवान श्री राम के जन्मस्थान पर बनाया गया है। इस मंदिर का निर्माण 2020 में आरंभ हुआ और 2024 में इसका भव्य उद्घाटन हुआ। भारतीय जनता पार्टी और विश्व हिंदू परिषद के सहयोग से बने इस मंदिर का निर्माण भारतीय पारंपरिक वास्तुकला के अनुसार किया गया है।
मंदिर नागर शैली में निर्मित है और इसका गर्भगृह 161 फीट ऊँचा है। यहाँ भगवान श्री राम की बालरूप प्रतिमा विराजमान है, जो श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत आस्था का केंद्र है। मंदिर के विस्तृत परिसर में कई धार्मिक और सांस्कृतिक संरचनाएँ बनाई गई हैं।
श्री राम जन्मभूमि मंदिर हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं, विशेष रूप से राम नवमी और दीपावली के अवसर पर। यह मंदिर भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है और अयोध्या को वैश्विक आध्यात्मिक मानचित्र पर स्थापित करता है।
रामेश्वरम मंदिर, तमिलनाडु:
रामेश्वरम मंदिर भारत के चार प्रमुख धामों में से एक है और इसका निर्माण त्रेता युग में स्वयं भगवान श्री राम द्वारा किया गया माना जाता है। बाद में विभिन्न राजाओं ने इसे विकसित किया और इसका विस्तार किया।
यहाँ स्थित रामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि लंका पर विजय प्राप्ति से पूर्व श्री राम ने यहाँ भगवान शिव की पूजा की थी। मंदिर में स्थित 1000 से अधिक खंभों वाला विश्व प्रसिद्ध लंबा गलियारा इसकी भव्यता को दर्शाता है।
यह मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि वास्तुकला की दृष्टि से भी अद्वितीय है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। पवित्र स्नान कुंडों और मंदिर परिसर का आध्यात्मिक वातावरण भक्तों को दिव्य शांति प्रदान करता है, जिससे यह हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल बन जाता है।
कंबोडिया का अंकोरवाट मंदिर (ऐतिहासिक संबंध):
अंकोरवाट मंदिर, कंबोडिया में स्थित, विश्व का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में राजा सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा कराया गया था। हालाँकि यह भारत में नहीं है, लेकिन यह भगवान विष्णु और राम कथा से गहरे रूप से जुड़ा हुआ है।
मंदिर की दीवारों पर रामायण और महाभारत की अद्भुत नक्काशी की गई है, जो भारतीय संस्कृति और धर्म की वैश्विक उपस्थिति को दर्शाती है। इसकी भव्य वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के कारण इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।
हर साल हजारों श्रद्धालु और पर्यटक इस भव्य मंदिर को देखने आते हैं। यह मंदिर दक्षिण पूर्व एशिया में हिंदू धर्म के प्रभाव और भगवान राम की कथा के प्रति अटूट श्रद्धा का प्रमाण है, जो इसे भारतीय संस्कृति से जोड़ता है।
संपूर्णानंद राम मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश):
संपूर्णानंद राम मंदिर वाराणसी के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। इसका निर्माण काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा कराया गया था। यह मंदिर अपनी भव्यता और आध्यात्मिक माहौल के लिए प्रसिद्ध है।
मंदिर में सफेद संगमरमर से बनी भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण की सुंदर मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो भक्तों को भक्ति और श्रद्धा से भर देती हैं। यहाँ नियमित रूप से रामायण पाठ और प्रवचन होते हैं, जिससे श्रद्धालु धार्मिक ज्ञान और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करते हैं।
वाराणसी आने वाले भक्त इस मंदिर के दर्शन के लिए अवश्य आते हैं। राम नवमी और अन्य त्योहारों पर यहाँ विशेष अनुष्ठान और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो मंदिर की आध्यात्मिक भव्यता को और भी बढ़ाते हैं।
कोडंडा राम मंदिर, आंध्र प्रदेश:
कोडंडा राम मंदिर आंध्र प्रदेश में तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। कहा जाता है कि इसका निर्माण भगवान श्री राम के वनवास काल के दौरान हुआ था, जिससे यह स्थान रामायण काल से जुड़ा हुआ माना जाता है।
मंदिर में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की सुंदर प्रतिमाएँ स्थापित हैं, जो भक्तों को अत्यंत भक्तिमय अनुभव प्रदान करती हैं। इस मंदिर का नाम “कोडंडा” इसलिए पड़ा क्योंकि श्री राम यहाँ अपने धनुष (कोडंड) के साथ विराजमान हैं।
यह मंदिर विशेष रूप से राम नवमी और अन्य हिंदू त्योहारों के दौरान हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित होने के कारण यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य भी भक्तों को शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव कराता है।
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चित्रकूट रामघाट और कामदगिरी मंदिर:
चित्रकूट, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित एक पवित्र धार्मिक स्थल है, जो भगवान श्री राम के वनवास काल से जुड़ा हुआ है। रामघाट और कामदगिरी पर्वत यहाँ के प्रमुख तीर्थ स्थल हैं। माना जाता है कि भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण ने यहाँ अपने वनवास का काफी समय बिताया था।
कामदगिरी पर्वत को अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है, और इसकी परिक्रमा करने से भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यहाँ स्थित भरत मिलाप मंदिर वह स्थान है, जहाँ भरत और श्री राम का भावनात्मक मिलन हुआ था।
रामघाट पर प्रतिदिन भव्य आरती होती है, जो श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत दिव्य अनुभव प्रदान करती है। इस पावन स्थल का वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक शांति और प्रभु श्री राम की भक्ति में लीन होने का अवसर देता है।
बदरिकाश्रम श्री राम मंदिर, उत्तराखंड:
बदरिकाश्रम श्री राम मंदिर उत्तराखंड के पवित्र तीर्थस्थल बद्रीनाथ धाम के निकट स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान श्री राम को समर्पित है, जहाँ उनकी पूजा भगवान विष्णु के रूप में की जाती है।
यह स्थान धार्मिक आस्था और आध्यात्मिकता का केंद्र माना जाता है। मंदिर का वातावरण अत्यंत पवित्र और शांतिपूर्ण है, जो ध्यान और भक्ति के लिए आदर्श स्थल है। हिमालय की गोद में स्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं को प्राकृतिक सुंदरता के साथ आध्यात्मिक आनंद भी प्रदान करता है।
यहाँ हर वर्ष बड़ी संख्या में भक्त भगवान राम के दर्शन के लिए आते हैं, विशेष रूप से राम नवमी और अन्य धार्मिक अवसरों पर। बद्रीनाथ धाम के निकट होने के कारण यह मंदिर वैष्णव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है और भारतीय धार्मिक परंपराओं का अभिन्न हिस्सा है।
भगवान राम मंदिर, भद्राचलम (तेलंगाना):
भगवान राम मंदिर, भद्राचलम, तेलंगाना का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में भक्त रामदास (कंचेरला गोपन्ना) द्वारा किया गया था, जो भगवान श्री राम के अनन्य भक्त थे। यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय के अनुसार पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध है।
मंदिर में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की सुंदर मूर्तियाँ स्थापित हैं। भक्तों का विश्वास है कि यह स्थान रामायण काल से जुड़ा हुआ है और श्री राम ने यहाँ कुछ समय बिताया था। राम नवमी और विवाहोत्सव के दौरान यहाँ विशेष पूजा और उत्सव आयोजित किए जाते हैं।
इस मंदिर की वास्तुकला और आध्यात्मिक वातावरण भक्तों को गहरी शांति प्रदान करता है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं, जिससे यह दक्षिण भारत के प्रमुख राम मंदिरों में से एक बन गया है।
श्री राम मंदिर, जयपुर (राजस्थान):
श्री राम मंदिर, जयपुर, राजस्थान की शान और भक्ति का एक प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर गुलाबी पत्थरों से निर्मित है और अपनी भव्यता व सुंदर वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। जयपुर के राजाओं द्वारा निर्मित इस मंदिर में भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण की भव्य मूर्तियाँ स्थापित हैं।
यहाँ राम नवमी और दीपावली के अवसर पर भव्य उत्सव आयोजित किए जाते हैं, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर की गई नक्काशी इसे और भी आकर्षक बनाती है। इसके शांत वातावरण और आध्यात्मिक ऊर्जा के कारण यह स्थल भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।
जयपुर आने वाले पर्यटक इस मंदिर के दर्शन अवश्य करते हैं। यहाँ की पूजा-पद्धति और धार्मिक अनुष्ठान भक्तों के मन को शांति प्रदान करते हैं। यह मंदिर भारतीय संस्कृति और वास्तुकला का एक अनमोल उदाहरण है।
भगवान श्री राम से जुड़े ये मंदिर न केवल धार्मिक स्थल हैं बल्कि भारतीय संस्कृति, वास्तुकला और इतिहास के अद्भुत प्रमाण भी हैं। राम नवमी के अवसर पर इन मंदिरों की विशेष पूजा-अर्चना होती है और भक्त यहाँ दर्शन करने आते हैं। भारत का हर कोना श्री राम की भक्ति से ओतप्रोत है, और ये मंदिर इसकी सुंदर झलक प्रस्तुत करते हैं।
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