Stock Market Crash: 5 बड़े प्रभाव, आम लोगों और निवेशकों को लगा गंभीर झटका

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Stock Market Crash: 5 बड़े प्रभाव, आम लोगों और निवेशकों को लगा गंभीर झटका

Stock Market Crash: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का असर केवल निवेशकों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह आम लोगों की जेब पर भी सीधा प्रभाव डालता है। हाल ही में दुनियाभर के शेयर बाजारों में बिकवाली का दौर देखने को मिला, जिससे कई अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ा है। अगर आप शेयर बाजार के निवेशक नहीं हैं, फिर भी इस गिरावट से बच नहीं सकते। आइए जानते हैं कि शेयर बाजार में गिरावट का आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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भविष्य निधि खाते की ब्याज दरों पर असर

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) अपनी वार्षिक निधि का लगभग 15% हिस्सा शेयर बाजार में एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) के जरिए निवेश करता है। जब शेयर बाजार में गिरावट आती है, तो इससे EPFO के निवेश की वैल्यू भी घट जाती है, जिससे भविष्य निधि (PF) पर मिलने वाली ब्याज दरों पर असर पड़ सकता है। अगर बाजार में लगातार गिरावट बनी रहती है, तो PF खाताधारकों को कम ब्याज दर मिल सकती है।

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राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) का रिटर्न होगा कम

राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) का एक बड़ा हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है। इसमें करीब 50% से 70% तक निवेश इक्विटी मार्केट में होता है। शेयर बाजार में गिरावट आने पर NPS से मिलने वाला रिटर्न भी कम हो जाता है, जिससे रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन राशि प्रभावित हो सकती है। अभी तक NPS की इक्विटी योजनाओं में निवेशकों को लगभग 12% औसत रिटर्न मिल रहा था, लेकिन बाजार में भारी गिरावट से इसमें कमी आ सकती है।

पेंशनधारकों की पेंशन राशि में हो सकती है कमी

जो लोग एन्युटी प्लान के जरिए पेंशन प्राप्त करते हैं, उनके लिए भी यह चिंता का विषय हो सकता है। एन्युटी योजनाएं बीमा कंपनियों के जरिए संचालित होती हैं, जो अपना निवेश शेयर बाजार में करती हैं। यदि शेयर बाजार में गिरावट आती है, तो इन योजनाओं से मिलने वाली पेंशन राशि भी कम हो सकती है।

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कंपनियों की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव

शेयर बाजार में 5000 से अधिक कंपनियां सूचीबद्ध हैं, जो बाजार से पूंजी जुटाती हैं। जब बाजार में गिरावट होती है, तो इन कंपनियों का बाजार पूंजीकरण भी घट जाता है। इससे उन्हें फंड जुटाने में मुश्किल होती है और उनकी कारोबारी गतिविधियां धीमी हो जाती हैं।

रोजगार के अवसर घट सकते हैं

शेयर बाजार में गिरावट से कंपनियों की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है, जिससे वे अपने खर्चों में कटौती करने लगती हैं। इससे नए रोजगार के अवसरों में कमी आ सकती है। इसके अलावा, जो कर्मचारी पहले से काम कर रहे हैं, उनके वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी की संभावना भी कम हो सकती है।

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रुपये की कीमत होगी कमजोर, महंगाई बढ़ेगी

जब शेयर बाजार में गिरावट होती है, तो विदेशी निवेशक अपना पैसा निकालकर डॉलर में बदल लेते हैं। इससे रुपये की कीमत घटती है और डॉलर महंगा हो जाता है। चूंकि भारत कई जरूरी चीजों का आयात करता है, जैसे कि कच्चा तेल, दवाइयां और उर्वरक, इनकी लागत बढ़ जाती है, जिससे महंगाई में इजाफा होता है।

आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी पड़ सकती है

हाल के महीनों में विदेशी निवेशक चीन, यूरोप और अमेरिका की ओर आकर्षित हुए हैं, जिससे भारतीय बाजार में निवेश घटा है। यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर भी प्रभावित हो सकती है। शेयर बाजार में लगातार गिरावट बनी रहने से कंपनियों का निवेश और विस्तार योजनाएं भी धीमी पड़ सकती हैं।

सरकार की कमाई पर असर

शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोग सरकार को सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) और कैपिटल गेन टैक्स के रूप में राजस्व देते हैं। इसके अलावा, सरकारी कंपनियां (PSUs) भी सरकार को लाभांश देती हैं। यदि बाजार में निवेश घटता है, तो इन स्रोतों से सरकार की कमाई भी कम हो सकती है, जिससे विकास कार्यों पर असर पड़ सकता है।

शेयर बाजार में गिरावट केवल निवेशकों के लिए चिंता का विषय नहीं है, बल्कि यह आम जनता की आर्थिक स्थिति पर भी गहरा प्रभाव डालती है। चाहे वह PF की ब्याज दर हो, NPS का रिटर्न हो, महंगाई हो या रोजगार के अवसर—शेयर बाजार की गिरावट से हर किसी को किसी न किसी रूप में नुकसान होता है। इसलिए, बाजार की हलचलों पर नजर रखना और इसके प्रभावों को समझना सभी के लिए जरूरी है।

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